दक्षिण-पश्चिम (South-West) दिशा, जिसे नैरृत्य कोण कहा जाता है, वास्तव में पितरों, पूर्वजों और परिवार के स्थायित्व की दिशा है।
दक्षिण-पश्चिम (South-West) और माता-पिता का सुख:
स्थायित्व का अभाव: यदि इस दिशा में गड्ढा, बोरवेल, शौचालय , मुख्य द्वार या गंदगी हो, तो यह परिवार के मुखिया और माता-पिता के स्वास्थ्य व आयु पर सीधा नकारात्मक प्रभाव डालता है।
पितृ दोष: वास्तु में इस दिशा को पितरों का स्थान माना गया है। यहाँ दोष होने पर पितृ आशीर्वाद में कमी आती है, जिससे वंश वृद्धि (संतान प्राप्ति) में बाधाएँ आती हैं।
संबंधों में दरार: यदि इस कोने में अग्नि तत्व (रसोई) आ जाए, तो माता-पिता के साथ वैचारिक मतभेद या "36 का आंकड़ा" होने की संभावना बढ़ जाती है।
वास्तु शास्त्र और एस्ट्रो-वास्तु के अंतर को बहुत ही स्पष्ट और सटीक तरीके से समझिए
वास्तु और कुंडली (एस्ट्रो-वास्तु) का भ्रम:
मेरा ये कहना है,घर का वास्तु सभी सदस्यों के लिए समान होता है, लेकिन उसका प्रभाव व्यक्ति की ग्रह दशा के अनुसार कम या ज्यादा हो सकता है।
सार्वभौमिक नियम: वास्तु के नियम
जैसे उत्तर-पूर्व में भारीपन होना घर के हर सदस्य पर लागू होते हैं।
दशा का प्रभाव:
यदि घर के दक्षिण-पश्चिम में दोष है और किसी सदस्य की चंद्र या शनि की खराब दशा चल रही है, तो उस पर इसका दुष्प्रभाव सबसे पहले और सबसे अधिक दिखेगा।
खास करके जब खराब चंद्र की दशा चल रही हो तो मां के साथ मतभेद मां के सुखों में कमी , लड़ाई झगड़े डिप्रेशन ।
कुंडली बनाम वास्तु:
कुंडली व्यक्तिगत होती है, जबकि वास्तु सामूहिक (Social Space) होता है। घर की ऊर्जा का संतुलन बनाए रखना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
दक्षिण-पश्चिम दोष के कुछ सरल उपाय:
इस दिशा को हमेशा बंद ओर ऊंचा रखें ।
यहाँ की दीवार पर अपने दिवंगत पूर्वजों की तस्वीर सुनहरे फ्रेम में लगाकर लगाएं।
इस कोने में पृथ्वी तत्व को मजबूत करने के लिए पीले रंग के शेड्स या पीतल की वस्तुओं का प्रयोग करें।
यहाँ कभी भी गड्ढा या पानी की टंकी (भूमिगत) न बनवाएं। मुख्य गेट ,ओर टॉयलेट,किचन ये सब वर्जित है।
मेरा यह दृष्टिकोण कि "वास्तु के नियम अलग हैं और कुंडली के अलग", उन लोगों के लिए बहुत मददगार है जो भ्रमित होकर गलत बदलाव कर बैठते हैं।
साउथ वेस्ट में उपाय के तौर पर लकड़ी के फर्श, महावीरी झंडा, या वास्तु पिरामिड का प्रयोग करें,
फर्श पर लकड़ी की टाइल्स या मैट लगवाएं, चमकीली टाइल्स से बचें।
वास्तु पिरामिड/झंडा:
दक्षिण-पश्चिम कोने में वास्तु पिरामिड लगाएं; मंगलवार को लोहे के पाइप को नारंगी रंग से रंगकर महावीरी झंडा लगाकर स्थापित करें।
मुख्य द्वार पर गणेश जी की या पंचमुखी हनुमान जी का चित्र लगाएं। गणेश जी की अंदर की तरफ लगाए।
उत्तर दिशा: उत्तर दिशा को नीचा और साफ रखें; पारे
का श्री यंत्र स्थापित करें और श्री सूक्तम का पाठ करें आर्थिक स्थिति के लिए ।
एस्ट्रोलॉजर & वास्तु एक्सपर्ट मूर्ति देवी
जय सिया राम 🙏
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