52 वर्ष बाद मिले सहपाठी, भावनाओं से सराबोर हुआ माहौल
प्रधानाचार्य गजेन्द्र सिंह तंवर का प्रेरक नवाचार
संवाददाता सोहनसिंह रावणा, तखतगढ़
तखतगढ़। संघवी केसरी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में सत्र 1972–73 के पूर्व विद्यार्थियों का स्नेह मिलन समारोह बड़े हर्षोल्लास के साथ विद्यालय परिसर में संपन्न हुआ। इस अवसर पर लगभग 52 वर्ष बाद सहपाठी पुनः एकत्रित हुए। लंबे अंतराल के बाद जब पुराने मित्र आमने-सामने आए तो शुरुआत में पहचानना कठिन रहा, किंतु परिचय मिलते ही भावनाएँ फूट पड़ीं और एक-दूसरे को गले लगाते ही क्षण भर में पुरानी यादें जीवंत हो गईं। बैठक के दौरान विद्यालय जीवन की स्मृतियों ने सभी को अतीत में पहुँचा दिया। कक्षा के किस्से, मित्रता की कहानियाँ, बाल्यकाल की शरारतें और गुरुओं की सीख ने वातावरण को भावुक बना दिया। यह मिलन इस बात का संदेश देता है कि सच्ची मित्रता उम्र, समय और दूरी की सीमाओं से परे होती है। यह आयोजन विद्यालय प्रबंधन समिति के तत्वावधान में हुआ। कभी कक्षा 10वीं के छात्र रहे ये पूर्व विद्यार्थी आज विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाएँ दे चुके हैं कई सरकारी पदों से सेवानिवृत्त हैं, तो कई उद्योग-व्यवसाय के माध्यम से समाज में योगदान दे रहे हैं।
मुंबई सहित विभिन्न नगरों से आए विद्यार्थियों ने वर्षों बाद मित्रों से मिलकर आत्मीयता का अनुभव किया। पूर्व विद्यार्थियों की पहल पर निरंतर प्रयास किए गए और लगभग 50 सहपाठियों की सूची, पते व संपर्क विवरण एकत्रित होने के बाद यह स्नेह मिलन संभव हो पाया। सभी ने भविष्य में भी संपर्क बनाए रखने और समय-समय पर मिलन कार्यक्रम आयोजित करने का संकल्प लिया सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी दीपा राम जीनगर ने कहा कि ऐसे मिलन कार्यक्रमों से जहां स्मृतियाँ ताजा होती हैं, वहीं गुरुओं का गौरव भी बढ़ता है। शिक्षक रामा राम कुमावत ने जीवन मूल्यों पर आधारित प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किए तथा छात्रों की प्रगति पर प्रसन्नता व्यक्त की। सभी पूर्व विद्यार्थियों ने सर्वसम्मति से यह संकल्प लिया कि वे जहाँ भी निवास करें, प्रति माह मानवीय सेवा से जुड़ा एक कार्य अवश्य करेंगे। उत्तम सांकरिया मुंबई से रात्रि विमान द्वारा कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे। विद्यालय के पुराने कक्ष में टेबल-कुर्सियों पर बैठकर प्रतीकात्मक उपस्थिति दर्ज की गई। विद्यालय हॉल की मरम्मत व उन्नयन का प्रस्ताव रखा गया।कार्यक्रम का संचालन प्रधानाचार्य गजेन्द्र सिंह तंवर ने किया। समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
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