आज साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात, 13 घंटे तक छाया रहेगा अंधेरा विंटर सोल्स्टिस डे: साल में सिर्फ एक बार देखने को मिलता है यह खगोलीय नजारा
न्यू राजस्थान धरा न्यूज संवाददाता रामप्रसाद कुमावत0
राम प्रसाद कुमावत केकड़ी नई दिल्ली/जयपुर | 21 दिसंबर
पूरे देश में आज साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात दर्ज की जा रही है। खगोल विज्ञान की भाषा में इस विशेष दिन को विंटर सोल्स्टिस डे (Winter Solstice Day) कहा जाता है। यह खगोलीय घटना पृथ्वी की सूर्य के सापेक्ष स्थिति के कारण घटित होती है और वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
भारतीय समयानुसार आज रात 8 बजकर 33 मिनट पर सूर्य की किरणें मकर रेखा पर लंबवत पड़ेंगी। इसी क्षण से सूर्य की उत्तरायण यात्रा की औपचारिक शुरुआत हो जाती है, जिसे भारतीय संस्कृति और विज्ञान—दोनों में विशेष महत्व प्राप्त है।
क्या है विंटर सोल्स्टिस डे
खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार, विंटर सोल्स्टिस वह स्थिति होती है जब सूर्य अपनी सबसे दक्षिणी अवस्था में पहुंच जाता है। इस दौरान उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की रोशनी सबसे कम समय के लिए उपलब्ध होती है, जिसके कारण दिन सबसे छोटा और रात सबसे लंबी होती है। आज कई क्षेत्रों में लगभग 13 घंटे तक अंधेरा छाया रहेगा।
आज के बाद दिन की अवधि धीरे-धीरे बढ़ने लगती है और रातें छोटी होने लगती हैं। हालांकि इसका प्रत्यक्ष प्रभाव कुछ दिनों बाद महसूस होता है, लेकिन वैज्ञानिक रूप से यह परिवर्तन आज से ही शुरू हो जाता है।
भारतीय परंपरा में विशेष महत्व
भारतीय पंचांग और परंपराओं में सूर्य के उत्तरायण होने को शुभ माना जाता है। यही कारण है कि उत्तरायण काल में मकर संक्रांति जैसे प्रमुख पर्व मनाए जाते हैं। उत्तरायण को सकारात्मक ऊर्जा, नई शुरुआत और उन्नति का प्रतीक माना जाता है।
खगोल विज्ञान के अनुसार, पृथ्वी अपनी धुरी पर झुकी हुई अवस्था में सूर्य की परिक्रमा करती है, जिसके कारण मौसम में बदलाव और दिन-रात की अवधि में अंतर आता है। विंटर सोल्स्टिस इसी प्राकृतिक प्रक्रिया का परिणाम है।
अब धीरे-धीरे बढ़ेंगे दिन
विशेषज्ञों के मुताबिक, आज के बाद सूर्य की किरणें क्रमशः उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ेंगी, जिससे दिन लंबे और रातें छोटी होने लगेंगी। हालांकि ठंड का प्रभाव कुछ समय तक बना रहेगा, लेकिन दिन बढ़ने से सूर्य का प्रकाश अधिक समय तक मिलेगा, जिसका सकारात्मक असर कृषि, मौसम और मानव जीवन पर पड़ेगा।
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