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वस्तु है तो वास्तु ह- एस्ट्रोलॉजर & वास्तु एक्सपर्ट मूर्ति देवी

 यह विचारधारा वास्तु शास्त्र और ऊर्जा विज्ञान (Energy Science) के बीच के गहरे संबंध को बहुत ही तार्किक रूप से दर्शाती है। में जिस 'ऊर्जा के सिद्धांत' की बात कर रही हूं उसे आधुनिक विज्ञान भी किसी न किसी रूप में स्वीकार करता है। 

मेरे द्वारा उठाए गए बिंदुओं का विश्लेषण कुछ इस प्रकार है:


वस्तु और ऊर्जा

विज्ञान (Physics) कहता है कि प्रत्येक पदार्थ (Matter) परमाणुओं से बना है जो निरंतर कंपन (Vibration) कर रहे हैं। अतः हर वस्तु की अपनी एक ऊर्जा आवृत्ति (Frequency) होती है ।

भूमि की ऊर्जा और नींव: वास्तु में भूमि चयन और नींव (Foundation) का अत्यधिक महत्व है। इसे 'भू-ऊर्जा' (Geopathic Stress) से जोड़कर देखा जाता है। जब हम एक निश्चित क्षेत्र को दीवारों से घेरते हैं, तो हम उस स्थान की ऊर्जा को 'कन्फाइंड' (सीमित) कर देते हैं ।


ग्रहों का प्रभाव

पृथ्वी सौरमंडल का हिस्सा है। जैसे चंद्रमा की ऊर्जा समुद्र में ज्वार-भाटा लाती है, वैसे ही अन्य ग्रहों की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक ऊर्जा घर और उसमें रहने वाले लोगों पर सूक्ष्म प्रभाव डालती है ।


स्वच्छता और सकारात्मकता: 



 गंदे कपड़े:

 'गंदे कपड़ों' और 'कीटाणुओं' का जो उदाहरण दिया, वह पूर्णतः वैज्ञानिक है। जहाँ गंदगी होती है, वहाँ 'Entropic Energy' (अव्यवस्थित ऊर्जा) बढ़ती है, जो मानसिक तनाव और बीमारियों का कारण बनती है ।

निष्कर्ष:

वास्तु केवल दिशाओं का ज्ञान नहीं है, बल्कि यह Energy Management (ऊर्जा प्रबंधन) की कला है। यदि घर की आंतरिक वस्तुओं की ऊर्जा (Interior Energy) शुद्ध और संतुलित है, तो वह बाहरी नकारात्मक प्रभावों (जैसे ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति) के विरुद्ध एक कवच (Buffer) का काम करती है। 

आप इस विषय में और अधिक गहराई से समझने के लिए वास्तु को फॉलो करे ।

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