न्यू राजस्थान धरा न्यूज संवाददाता प्रवीण सिंह ओड
पाली भारत की प्राचीनतम पर्वत श्रृंखला अरावली आज गंभीर खतरे के दौर से गुजर रही है। सुप्रीम कोर्ट व पर्यावरणीय नियमों के अनुसार 100 मीटर या उससे अधिक ऊँचाई वाली पहाड़ियों को अरावली हिल्स माना गया है, जहां किसी भी प्रकार का खनन व कटाव पूर्णतः प्रतिबंधित है। इसके बावजूद राजस्थान के कई क्षेत्रों में अरावली पर्वतों पर धड़ल्ले से अवैध कटाव जारी है, जो न केवल कानून की खुली अव हेलना है,बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है पर्यावरण संरक्षण को लेकर जहां सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए थे, वहीं अब तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई। इस सरकारी मौन से जन आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने इसे प्राकृतिक धरोहर के साथ अपराध करार दिया है अरावली संरक्षण को लेकर लक्खी शाह क्रांतिकारी समाज पार्टी एवं बंजारा समाज के पदाधिकारियों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो जनता सड़कों पर उतरकर हड़ताल एवं उग्र आंदोलन करने को मजबूर होगी। इस संबंध में प्रमुख रूप से चेतावनी देने वालों में मुकेश राम बंजारा,जिलाध्यक्ष,पाली हनुमान बंजारा,पश्चिमी राजस्थान अध्यक्ष हरचंद बंजारा,महामंत्री बद्री प्रसाद, महामंत्री,राजस्थान लक्खी शाह क्रांतिकारी समाज पार्टी सिंगाराम बंजारा, युवा मोर्चा सचिव, राजस्थान अर्जुन सिंह बंजारा, विधानसभा उपाध्यक्ष,सोजत संतोष कुमार, विधानसभा उपाध्यक्ष,सोजत घासी राम,सदस्य भूपेंद्र बंजारा, सदस्य ने संयुक्त रूप से कहा कि “अरावली केवल पहाड़ नहीं, बल्कि राजस्थान की जीवनरेखा है यदि इसे नहीं बचाया गया तो जल, जंगल और जमीन तीनों का संकट गहराएगा विशेषज्ञों के अनुसार अरावली पर्वतमाला भूजल संरक्षण, वर्षा संतुलन और जैव विविधता की रीढ़ है अवैध कटाव से भूजल स्तर गिर रहा है, गर्मी बढ़ रही है और मरुस्थलीकरण का खतरा गहराता जा रहा है जन संगठनों ने सरकार से मांग की है कि अवैध खनन पर तत्काल पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए,दोषियों पर कठोर कानूनी कार्रवाई हो,अरावली संरक्षण हेतु स्थाई निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए। अन्यथा चेतावनी साफ है अगर अरावली बचेगी नहीं, तो चुप्पी भी नहीं बचेगी
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