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बीसलपुर भराव बढ़ाने पर गांवों का घेरा, देवली में चौथे दिन भी गूंजा विस्थापितों का आक्रोश, केकड़ी विधायक शत्रुघ्न गौतम को भी खत लिखकर की मांग।


सावर। रमेश पाराशर।


बीसलपुर बांध परियोजना की भराव क्षमता बढ़ाने के प्रस्ताव ने अजमेर, टोंक और भीलवाड़ा जिलों के ग्रामीण अंचलों में जबरदस्त आक्रोश पैदा कर दिया है। प्रभावित गांवों के ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना देवली उपखंड कार्यालय के बाहर शुक्रवार को चौथे दिन भी पूरे जोश और एकजुटता के साथ जारी रहा। धरना स्थल पर नारेबाजी, जनसभा और रणनीतिक मंथन के बीच सरकार के फैसले के खिलाफ जनआंदोलन की तस्वीर साफ नजर आई।

ग्रामीणों ने दो टूक कहा कि “विकास के नाम पर उजाड़ स्वीकार नहीं” और “पहले अधूरे पुनर्वास का हिसाब, फिर नई योजना की बात”। चार दिन से लगातार जारी धरने ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के लिए संदेश साफ कर दिया है कि मांगें अनसुनी रहीं तो आंदोलन और व्यापक होगा।

गांव-गांव से उमड़ा जनसैलाब

कालेड़ा कंवरजी के सरपंच अर्पित जोशी ने बताया कि अजमेर जिले के पाड़लिया, नापाखेड़ा, चांदथली, कालाखेत सहित कई गांवों से ग्रामीण प्रतिदिन देवली पहुंचकर धरने में भाग ले रहे हैं। उनका कहना है कि भराव क्षमता बढ़ाने का प्रस्ताव सीधे-सीधे सैकड़ों परिवारों के अस्तित्व, खेत-खलिहान और पीढ़ियों की मेहनत पर हमला है।

भराव यथावत रखने पर अडिग संघर्ष समिति

नापाखेड़ा निवासी एवं बीसलपुर बांध विस्थापन संघर्ष समिति के सदस्य सतीश वर्मा ने केंद्र सरकार की नई पुनर्वास नीति पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अब विस्थापन की स्थिति में न जमीन देने की गारंटी है और न ही पुनर्वास कॉलोनी का भरोसा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि ईआरसीपी कैनाल से बीसलपुर बांध जुड़ने के बाद पेयजल और सिंचाई के लिए सालभर पर्याप्त पानी उपलब्ध रहेगा, ऐसे में भराव क्षमता बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है।

अधूरे पुनर्वास की पीड़ा अब भी जिंदा

संघर्ष समिति ने पुनर्वास कॉलोनियों के अधूरे विकास, छूटी हुई संपत्तियों के मुआवजे, भूमि आवंटन के लंबित मामलों, चालान जमा न कर पाने वालों को भूमि आवंटन, तथा वंचित विस्थापितों के लिए तिथि बढ़ाने जैसे वर्षों पुराने मुद्दों के तत्काल समाधान की मांग दोहराई। साथ ही डूब क्षेत्र में गई कृषि भूमि के बदले समान कृषि भूमि देने और नहर से सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने की ठोस गारंटी की मांग भी प्रमुखता से रखी गई।

68 गांवों की एक आवाज, विधायकों तक पहुंचा विरोध

संघर्ष समिति के अध्यक्ष मुकुट सिंह राणावत ने बताया कि अजमेर, टोंक और भीलवाड़ा जिलों के 68 गांवों के ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देने का निर्णय लिया है। इसी क्रम में केकड़ी विधायक शत्रुघ्न गौतम को भी खत लिखकर विस्थापितों की पीड़ा, आशंकाएं और मांगें विस्तार से रखी गई हैं। खत में आग्रह किया गया है कि विधायक विधानसभा में इस गंभीर मुद्दे को मजबूती से उठाएं और सरकार से बीसलपुर बांध परियोजना की भराव क्षमता बढ़ाने का फैसला तत्काल वापस लेने के लिए दबाव बनाएं।

धरना स्थल से उठती आवाज अब एक ही संदेश दे रही है—

“पानी चाहिए, पर उजाड़ नहीं; विकास चाहिए, पर विस्थापन नहीं।”

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