ख्वाजा साहब की मजार पर गुस्ल की रस्म के लिए दरगाह दीवान के बेटे नसीरुद्दीन चिश्ती ने खादिमों का आभार जताया।उर्स में प्रधानमंत्री मोदी की ओर से भी चादर पेश।
न्यू राजस्थान धरा न्यूज संवाददाता रामप्रसाद कुमावत0
न्यू राजस्थान धरा न्यूज जाकिर हुसैन ब्यूरो चीफ पत्रकार सावर 21 दिसंबर
की शाम को आसमान में चांद दिख जाने के साथ ही अजमेर में ख्वाजा साहब का छह दिवसीय सालाना उर्स शुरू हो गया। इसे मुस्लिम माह रजब की पहली तारीख भी माना गया। दरगाह की परंपराओं के अनुसार रजब माह की पहली तारीख से ही उर्स की शुरुआत होती है। इस परंपरा के अंतर्गत ही 21 दिसंबर की रात को बारगाह के महफिल खाने में धार्मिक कव्वालियों का दौर चला और फिर मध्यरात्रि को ख्वाजा साहब की मजार पर गुस्ल की रस्म (साफ-सफाई और दुआ) हुई। दरगाह के गत पचास वर्ष के इतिहास में यह पहला अवसर रहा जब दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन के स्थान पर उनके बड़े पुत्र सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने गुस्ल की रस्म को अंजाम दिया। दरगाह की परंपराओं के अनुसार दीवान ही उर्स में गुस्ल की रस्म करवाते है। लेकिन इस बार दीवान आबेदीन बीमार है। इसलिए उनके बेटे ने गुस्ल की रस्म करवाई। हालांकि पहले तो खादिमों ने बेटे के दखल पर एतराज किया था। लेकिन बाद में खादिमों की दोनों प्रतिनिधि संस्था ने दीवान के बेटे को गुस्ल रस्म करने पर सहमति दें दी। यही वजह रही कि 21 दिसंबर की मध्यरात्रि को गुस्ल की रस्म को पूरा करने के बाद सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती बेहद भावुक नजर आए। उन्होंने कहा कि मेरी जिंदगी का यह सबसे भावनात्मक और यादगार पल है। अब तक मेरे पिता ही गुस्ल की रस्म करते आ रहे थे, लेकिन ख्वाजा साहब के करम से इस बार उर्स में उन्हें पवित्र मजार पर गुस्ल की रस्म करने का अवसर मिला है। नसीरुद्दीन चिश्ती ने इसके लिए दरगाह के खादिमों और दरगाह से जुड़े अन्य प्रतिनिधियों का भी आभार जताया। दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन के रहते हुए उनके बेटे द्वारा गुस्ल की रस्म करवाने पर अनेक खादिमों को ऐतराज भी है। दरगाह में दीवान के पद को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे लोगों का कहना है कि नसीरुद्दीन चिश्ती द्वारा उर्स में गुस्ल की रस्म करवाने से अदालत में चल रहे मुकदमे पर असर पड़ेगा। इससे नसीरुद्दीन चिश्ती के दरगाह दीवान का उत्तराधिकारी होने का दावा भी मजबूत होगा। पीएम मोदी की ओर से चादर: दरगाह की परंपरा के अनुरूप देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भी 22 दिसंबर को ख्वाजा साहब की मजार पर चादर पेश की गई है। यह 12वां मौका है, जब नरेंद्र मोदी की ओर से चादर पेश की गई। आजादी के बाद से ही प्रधानमंत्री की ओर से दरगाह में चादर पेश की जाती है।
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